Image Source : Google

भगवान शिव हें मार्शल आर्ट के जनक  

Image Source : Google

जी हाँ साथियो आपको यह जानकर कर ख़ुशी होगी की मार्शल आर्ट के जनक कोई और नहीं बल्कि इस सृस्टि के पालन हार भगवान शिव हैं। 

Image Source : Google

यहाँ आपको बता दें कि आत्मरक्षा से लेकर युद्ध करने तक की सभी कलाएं मार्शल आर्ट में ही आती हैं।  

Image Source :Kassido

कुंगफू, तलवार बाजी, किक-बॉक्सिंग, जूडो, सिलम्बम, कसीडो, वुशु, बॉक्सिंग, स्पोर्ट्स कराटे, फुल कांटेक्ट कराटे, मूयी  थाई, ताइक्वांडो, सशस्त्र और निहत्थे मुकाबला आदि सभी आर्ट मार्शल आर्ट का ही हिस्सा हैं। 

Image Source :Google

भगवान शिव ने इस कला का निर्माण मनुष्यों को पाप या क्रूर व्यक्तियों से बचाने के लिए किया था। 

Image Source :Kassido

ऋषियों और भिक्षुओं ने कई वर्षों तक भगवान शिव की पूजा की, उसके बाद भगवान शिव ने उन्हें पृथ्वी पर मानवता की रक्षा के लिए नियुद्ध मार्शल आर्ट का आशीर्वाद दिया। 

Image Source :Kassido

इस कला की शुरुआत सतयुग में हुई थी। इस युग में ऋषि मुनियों (संत) ने उस कला का अध्ययन किया और अपने शिष्यों को खाली हाथ बिना हथियार के लड़ने के लिए दिया। जब उन लोगों ने इसका उपयोग किया तो इसके परिणाम आश्चर्यजनक निकले। 

Image Source :Google

नियुद्ध कला (मार्शल आर्ट) का वर्णन रामायण, महाभारत, शिवपुराण, दुर्गापुराण आदि में पहले ही किया जा चुका है। 

Image Source :Kassido

प्राचीन ग्रंथों में कहा गया है कि त्रेतायुग में भगवान श्री राम, लक्ष्मण, भरत, शत्रुगण, परशुराम, जामवंत, हनुमान, शुग्रीव और अंगद मार्शल आर्ट में भलीभांति प्रशिक्षित थे। 

Image Source :Google

द्वापरयुग में भगवान श्रीकृष्ण, बलराम, युधिष्ठर, जरासंध, अर्जुन, भीम, कर्ण, घटोत्कच और कई अन्य योद्धा इस कला में निपुण थे। मां काली, मां दुर्गा ने भी कई असुरों का संहार शस्त्र से या बिना शस्त्र से किया था। 

Image Source :Kassido

उसके बाद बौद्धों ने भी इस कला को अपनाया और उन्होंने इसे अलग-अलग देशों में अलग-अलग नामों से फैलाया। इस कला को सीखने का उद्देश्य मानसिक, शारीरिक और आध्यात्मिक था।